Friday 25 December 2020

कहो! यह युद्ध कैंसा है?

कहो! यह युद्ध कैंसा है?
जो स्वयँ से ही है अपरिचित,
अहो! यह बुद्ध कैंसा है?
कहो! यह युद्ध कैंसा है?

ऋषियों, मुनियों, मनीषियों के भारत में,
यह ज्ञान प्रवाह अवरुद्ध कैंसा है?
प्रश्नोत्तर में लीन परंपरा का भारत 
आज स्वयँ के ही विरुद्ध कैंसा है?
कहो! यह युद्ध कैंसा है?

जिस भूमि पर सभ्यता का हुआ आरंभ,
वँहा असभ्य आज प्रबुद्ध कैंसा है?
नीति, धर्म, सत्य के मूल्यों का भारत,
आज अधर्म, अनीति, असत से अशुद्ध कैंसा है?
कहो! यह युद्ध कैंसा है?

हे सनातन अब जाग तू,
शास्त्रार्थ से मत भाग तू,

रंच रूद्र के नव राग तू,
न स्वयँ का कर त्याग तू,
है समय ये कौटिल्य का,
कर शस्त्र से अनुराग तू,
न हो पहचान जिसे शत्रु की,
यह आर्यावर्त में आज चन्द्रगुप्त कैंसा है?

कहो यह युद्ध कैंसा है?
जो स्वयँ से ही है अपरिचित,
अहो! यह बुद्ध कैंसा है?
कहो! यह युद्ध कैंसा है?


विजय गौड़ 
दिसम्बर २५, २०२० 







गीत गाणा बणदा राला!

मन स्वचणु, हाथ ल्यखदा राला म्यारा जब तलक,
गीत गाणा बंणदा राला, सुणेणा राला तब तलक। 

सुख का गीत, दुःख का गीत,
यख का गीत अर वुख का गीत। 
आणा का गीत, जाणा का गीत,
बखाणा का गीत अर लठ्याणा का गीत। 
रीत प्रीत कि चलणी रालि जब तलक,
गीत गँगा ब्वगणिइ रालि तब तलक।।

लाड़ का गीत, दुलार का गीत, 
माया का गीत, मौल्यार क गीत। 
(अर सुलार क बि गीत, खड़ो मेरि प्यारि न ढैक किवाड़, बरखा न भीजि गैनि म्यारा सुलार )
ह्यूंद का गीत, बसग्याल का गीत,
ब्याळि, भोल, अजक्याल का गीत। 
ऋतु बसँत आली-जालि जब तलक,
गीत पुष्पा फुलणी राली, खिलणी रालि तब तलक।।

सँजोग का गीत, विजोग का गीत,
चौमास का गीत, यकुलांसा का गीत। 
खुद मा गीत अर खुद का गीत,
रुमकि का गीत अर सबेर का गीत। 
भै-बैणों कि खुद लगलि जब तलक,
जिकुड़ी झुरणी, अँगुली ल्यखणी रालि म्येरि तब तलक।।

सोच का गीत, विचार का गीत,
आचार का गीत, परचार का गीत। 
सन्देश का गीत, उपदेश का गीत,
देस का गीत, विदेस का गीत। 
नेता, मनख्यों (नेता खंण मिन मनखी नि बोलि हो)
नेता, मनख्यों बखाणों रालु जब तलक,
गालि खाणु, गाणु लिख्वाणु रालु मै से तब तलक,
गालि खाणु, गाणु लिख्वाणु रालु मै से तब तलक। 

विजय गौड़ 


गौं मि तिमलाखोलि नाल!

झम झमैलो ........ 
रै ग्योंऊँ सड़की जग्वाल,
गौं मि तिमलाखोलि नाल
झम झमैलो ........
कैन नि सूणि धाद म्येरि 
कैन बोटि नि मै अंग्वाल। 
झम झमैलो ....... 

दादू साल, सैंतालिस मा
देस अजाद ह्वै छौ मेरो,
कैन नि ल्येइ म्येरि सुद,
क्वी त म्येरा जना बि हेरो। 
झम झमैलो ....... 
रै ग्योंऊँ सड़की जग्वाल। 

दादू मिन ये, रौला बिटिन
गाड़यों कु गर्र गराट सूणी,
लब्सांदा नौना ज्वान देखिनि
दानों कु सक सक्याट जाणि।
झम झमैलो ....... 
रै ग्योंऊँ सड़की जग्वाल। 

दादू मि साख, साख्यों बिटिन 
बैठ्युं छौ सारा मा तुमारो,
खैंडादि क्वी म्यरा ढयों बि 
कुटलि द्वी कचाग मारो। 
झम झमैलो ....... 
रै ग्योंऊँ सड़की जग्वाल। 

दादू कु होलु वो भग्यान 
सुणलु म्येरि धै जु आज,
बिंगलु जिकुड़ी जु म्येरि
बणलु यीं खैरि कि अवाज। 
झम झमैलो ....... 
रै ग्योंऊँ सड़की जग्वाल। 
गौं मि तिमलाखोलि नाल। 
गौं मि तिमलाखोलि नाल। 
गौं मि तिमलाखोलि नाल। 

विजय गौड़ 
 

सोचि छई!!

सोचि छई, साथ त्येरु-म्येरू होलु, जीवन भर कु। 
सुपन्यु छई, त्येरा संग मा देख्युं, मिन नयु घर कु।।
सोचि छई ......... 

                       (१)
ब्यालि देखि मिन तू, 
म्येरा चौकै तिरालि। 
जन ब्वनी होलि तू,
मै धैरि दे समालि।
औंगाल तिन, 
हाँ हाँ औंगाल तिन,
झप्प मै पर बोटि बिन कै डर कु। 
सुपन्यु छई ....... 

                      (२)
सोचदि होलि तू 
य कनि माया मेरी,
हाँ बौल्या हुयूं मी, 
तेरु बाटू हेरि-हेरि।
रात-दिन , 
हो-हो रात दिन,
मन मा ख्याल तेरु रान्दु ये भौंर कु। 
सोचि छई ... .. ... 

                    (३)
आँखि द्यखदी रैगें, 
बाटू हेरिदी रैगें,
लाटा मन की वा तीस, 
तीस ह्वैकि रैगीं।
सुपन्यु मेरु 
हाँ हाँ सुपन्यु मेरु,
झणी किलै यु ह्वैगे आज कै हौर कु। 

सोची छई  ............ 
सुपन्यु छई .............. 

कॉपीराइट@विजय गौड़ 
मूल रचना: मई २००७, ग्वाटेमाला, सेंट्रल अमेरिका 
संशोधन: जनवरी ०४, २०२० 

कनि होलि वा

लड़का:
कख होलि वा, कनि होलि वा   -२ 
बालि सी या सयाणी होलि वा। 
माया लगौंलू जैंम मन कि बात बिंगौलु। 
कख होलि वा, कनि होलि वा।।

लड़की:
को होलु वो, कनु होलु वो  -२ 
अपडु या विरणु होलु वो। 
पिड़ा लगौंलु जैंम मन कि बात बथौंलू। 
को होलु वो, कनु होलु वो। 
कख होलि वा, कनि होलि वा।।

लड़का :
सचि मा कबि नि देखि नि जाणि, सचि मा जाणि नि देखि,
सुपिन्यों मा कबि झल दिखेंद, कबि लुके-लुकेकि।
होलि झणी कुज्याणि ज्वा स्वाँद मैसणि भगी। 
कख होलि वा, कनि होलि वा -२ 

लड़की:
हैरा जौ का झीस लठ्याला, हैरा जौ का झीस,
होलु कनु वु मीत मेरु आँख्यूं की जु तीस। 
झट दिख्ये जा, तर कै जा म्येरि मयलि जिकुड़ी। 
को होलु वो, कनु होलु वो  -२ 
अपडु या विरणु होलु वो।