Wednesday, 8 May 2013

कनि प्वडी स्या रात!!!

कनि प्वडी स्या रात, 
न क्वि छ्वीं, न बात।
यनु नु होणु मुल्कौ विकास, 
मिलि क रावा साथ।

तु छ्वटु मि बडू, तु सियुं मि खडू, 
पुरणी व्है य बात,
यखुलि-२, गिर्ज्वडोंन, 
नि पकणु दाल-भात,
जनता तुमरा मुखुन्द दिखणी, 
तुमुन करीं स्या रात,
यनु नु होणु मुल्कौ विकास, 
मिलि क रावा साथ।

सोच-बिचारि, मेल-जोलन,
हिटा लाटाओ ताल-मात,
निथर बग्तन तुमरू ठटा लगौण, 
कनु हुयुं बकिबात,
अपड़ू - २ सुचण स्ये, 
नि पैटणि स्या बरात,
यनु नु होणु मुल्कौ विकास, 
मिलि क रावा साथ।

आस बंध्ये छै तुमुतैं दयेखी, 
कि अग्नै औणी मनख्यात,
बाला अटगला, ज्वान हैन्सला, 
बुडापू कनु छौ बात,
हाल तुमरा यना हि राला 
त फेर नि लगणि लंगात,
यनु नु होणु मुल्कौ विकास, 
मिलि क रावा साथ।

विजय गौड़ 
१६/०४/२०१३