Thursday, 24 November 2022

मेरा लिखना आजीविका नहीं मेरी!

मेरा लिखना आजीविका नहीं मेरी 
ये स्वयं से चुना दायित्व मेरा।
निरंतर लिखते रहना मरीचिका नहीं मेरी
ये शब्दों से बुना स्थायित्व मेरा।।

लिखता हूँ तो निर्भय 
निस्संकोच होता हूँ मैं 
लिखता हूँ तो एक अदृश्य शक्ति से 
ओत प्रोत होता हूँ मैं 
मेरा लिखना कोई उद्दण्डता नहीं मेरी 
ये माँ शारदे निहित अस्तित्व मेरा।
मेरा लिखना आजीविका नहीं मेरी 
ये स्वयं से चुना दायित्व मेरा।।

ये आक्रोश, ये असंतोष 
यूँ ही नहीं मेरे लिखने में 
पुरखों के रक्त सिंचित राष्ट्र प्रेम की सोच 
यूँ ही नहीं मेरे चीखने में 
मेरा लिखना सदियों की विभीषिका है मेरी 
और उससे जागृत हिन्दुत्व मेरा।
 मेरा लिखना आजीविका नहीं मेरी 
ये स्वयं से चुना दायित्व मेरा।।

मेरा लिखना मेरा ध्यान
मेरा लिखना धर्म का सम्मान 
मेरा लिखना मेरी सभ्यता का जयगान 
मेरा लिखना मेरी चेतना की उड़ान 
मेरा लिखना शब्द अट्टालिका नहीं मेरी 
ये उस ब्रह्म से है एकत्व मेरा।
 मेरा लिखना आजीविका नहीं मेरी 
ये स्वयं से चुना दायित्व मेरा।।

माँ सरस्वती एवं माँ भारती के श्री चरणों में समर्पित।

विजय गौड़ 
नवंबर २४, २०२२ 
मॉडेस्टो, कैलीफॉरनिया, अमेरिका। 

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