Wednesday, 29 August 2012

हिटणु रै!!!



हिटणा कु दियीं खुट्टी,
रै मनखी हिटणु रै!!!
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट,
तू बुटणू  रै!!!

कबि उकाल - कबि उंदार सि बाटू ज़िन्दगी कु,
ये थैं तिर्छोड़ी कनै कि हिकमत करणु रै!!!
हिटणा कु दियीं खुट्टी.........

उन्द अटगणे कि लगिं होड़ ये मुलुक अब,
यिक्खि रैकि जरा पाड़-पाड़ी तू बंचणु रै!!
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट........

सच थैं अब जरा भिंडि दबाणु स्यु झूठ यिख,
द्वी घड़ीम पलट्येलु यु ढुंगु, बाटु हेरुणु रै!!!
हिटणा कु दियीं खुट्टी.........

क्वी धक्यालू अग्नै त क्वी पिछ्नै त्वैई,
अपणा- परया पछ्याणि स्ये मन मा लिखणु रै!!!
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट........

छंट्येलु अँधेरु, होलु उज्यालु सिंनक्वली,  
ढान्डू-कांडों मा तब तलक तू सकणु रै!!! 
हिटणा कु दियीं खुट्टी.........

ज्योंन मनखि कि वेन दियीं त्वै कना कु कुच, 
वेकु बुल्युं कैयालि? अफु स्ये पुछणु रै!!!
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट........

खैरि-विपदों कि लम्बि लंगात जब दयेखा तब,
लगै कि अड्ड दूर धार पोर स्यों ठेलुणु रै!!!
हिटणा कु दियीं खुट्टी.........

ब्वै-बाब रैनि कैका सदानि दगडि यिख,
मि बि छ्वरयों, भोल तु बि छ्वरयेलि, बिन्ग्णु रै!!! 
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट........

कबि त मुंड मलसणों आला पित्र त्येरा ड्यार बी,
मोल-माटन लीपि खान्दम वुन्कू बाँठु बि धरणु रै!!!
हिटणा कु दियीं खुट्टी.........

विजय गौड़
22.08.2012 (11.50 PM)
(संसोधन दिनांक ०७/०८/२०१३, पूज्य पिताजी को मरणोंपरांत समर्पित) 
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Satendra Rawat5:24pm Aug 29
बहुत बढ़िया कबिता विजय भाई, विधाता न त्वेथई खास कनो भेज्युन रे मनखी सोचुणू रेई, वेकु दीयों कैयाल तिल, आपसे पूछ्णू रै!!!!

Parashar Gaur5:21pm Aug 29
bahut sunder
सुनीता शर्मा4:51pm Aug 29
भोत सुंदर अर सही लिख्युं च यें रचना मा बधाई भाई जी !
विजय गौड़
5:03 PM (45 minutes ago)
धन्यबाद सुनीता जी...आप लोगु कि टिपण्णी बहुत उत्साह बड़ान्दी!!! जुगराज रयाँ

Vijay Gaur धन्यबाद श्रधेय गौर जी !!! एक साहित्यकार का मुख से कुछ भि सुण णु बड़ा सम्मान कि बात च और अगर तारीफ़ च त फिर याँ से भलु क्या हवे सकदु..आशा च समय -२ पर अपणी टिपण्णी देणा रैल्या!!!
विजय