सोची छैयी साथ त्येरु-म्येरू होलू ज़िन्दगी भर कु,
सुपन्यु छैयी त्येरा संग मा देख्युं एक नयुं घौर कु,
सोची छैयी साथ....
ब्यालि त्वे थैं दयेखी मिन चौक्ये तिराली,
जन ब्वनी होली तू मै धैरी दये समालि,
औंगाल तिन छै वा मै पर ब्वटीं बिना कै डौर कि..
सुपन्यु छैयी त्येरा संग मा देख्युं एक नयुं घौर कु.....
सुचणी होली तू या कनि माया म्येरी,
हाँ! बौल्या हवेग्युं मी त्येरु बाटु ह्येरी-हेरी,
रात दिन मन मा ख्याल त्येरु रांद ये भौंर कु,
सोची छैयी साथ त्येरु-म्येरू होलू ज़िन्दगी भर कु.....
आंखि दयेखदी रैग्यीं, बाटु हेरदी रैग्यीं,
लाटा मन कि वा तीस, तीस हवे कि रैग्यी,
सुपन्यु म्येरू झणी किलै यु ह्वैग्ये आज कै हैन्का कु,
सोची छैयी साथ त्येरु-म्येरू होलू ज़िन्दगी भर कु.....
सुपन्यु छैयी त्येरा संग मा देख्युं एक नयुं घौर कु......
"विजय गौड़ "सर्वाधिकार सुरक्षित...