Wednesday 21 August 2013

"स्वीणु"

बिनसिरि मा अफि अफि, 
य क्व हैंसाणि आज?
य सबेर कनि अपड़ी सी,
छ्वीं लगाणी आज। 

            (१.)
बडुलि सि झणि कु लगाणु, 
आज ईं रतब्याण मा,
चखुलि सि मन थैं उडाणु, 
क्वी त वे असमान मा,
क्वी त वे असमान मा ........ 
अचणचक ये सुख्यां मन यु कनु,
छ्वयों पाणि आज?
बिनसिरि मा अफि-अफि. ..... ....... 

            (२.)
यु कु अजाण हात अयूं च, 
अफ़ि म्यरा हात मा,
कैकि माया य मै लिजाणि, 
वीं जुन्यलि रात मा,
वीं जुन्यलि रात मा. ......... 
होलि कैकि खुद य,
ज्व मै खुद्याणि आज? 
य सबेर कनि अपड़ि सी............ 
            
             (३)
तू छै त लुकणी छै किलै?
नि छै त न्यूतणी छै किलै?
लुकणु-न्यूतणु कब तैं रालु,
यु छुची दिन-रात मा
यु छुची दिन-रात मा....... 
ये जिकुड़ा मा य कनि ,
चुला सी आग भुबराणि आज?
बिनसिरि मा अफि-अफि....... 


विजय गौड़ 
कविता संग्रह: रैबार से 
Copyright @ Vijay Gaur 21/08/2013
Updated: ०४ जनवरी, २०२०