बिनसिरि मा अफि अफि,
य क्व हैंसाणि आज?
य सबेर कनि अपड़ी सी,
छ्वीं लगाणी आज।
(१.)
छ्वीं लगाणी आज।
(१.)
बडुलि सि झणि कु लगाणु,
आज ईं रतब्याण मा,
आज ईं रतब्याण मा,
चखुलि सि मन थैं उडाणु,
क्वी त वे असमान मा,
क्वी त वे असमान मा ........
क्वी त वे असमान मा,
क्वी त वे असमान मा ........
अचणचक ये सुख्यां मन यु कनु,
छ्वयों पाणि आज?
बिनसिरि मा अफि-अफि. ..... .......
छ्वयों पाणि आज?
बिनसिरि मा अफि-अफि. ..... .......
(२.)
यु कु अजाण हात अयूं च,
अफ़ि म्यरा हात मा,
अफ़ि म्यरा हात मा,
कैकि माया य मै लिजाणि,
वीं जुन्यलि रात मा,
वीं जुन्यलि रात मा. .........
वीं जुन्यलि रात मा,
वीं जुन्यलि रात मा. .........
होलि कैकि खुद य,
ज्व मै खुद्याणि आज?
ज्व मै खुद्याणि आज?
य सबेर कनि अपड़ि सी............
(३)
तू छै त लुकणी छै किलै?
नि छै त न्यूतणी छै किलै?
लुकणु-न्यूतणु कब तैं रालु,
यु छुची दिन-रात मा
यु छुची दिन-रात मा.......
यु छुची दिन-रात मा
यु छुची दिन-रात मा.......
ये जिकुड़ा मा य कनि ,
चुला सी आग भुबराणि आज?
चुला सी आग भुबराणि आज?
बिनसिरि मा अफि-अफि.......
विजय गौड़
कविता संग्रह: रैबार से
Copyright @ Vijay Gaur 21/08/2013
Updated: ०४ जनवरी, २०२०
Updated: ०४ जनवरी, २०२०