Monday 2 September 2013

'ज़िन्दगी'

कबि हैन्सै, कबि रुवै जख,
क्य तुम बि गयाँ वे गौं ?
'ज़िन्दगी' जैकु नौ।  
कबि घाम, कबि बथौं।।

भला दिन बि लान्दि या,
त कबि दिन बुरा कै जान्दि या,
भला-बुरा कर्मों कु फल बि,
यिखि चखै चलि जान्दि या,
फेर बि बुन्नु रांदु मनखि,
मै स्ये बड़ि क्वा मौ,
कबि घाम, कबि बथौं।।

कबि हैन्सै, कबि रुवै जख,
क्य तुम बि गयाँ वे गौं ?
'ज़िन्दगी' जैकु नौ।  
कबि घाम, कबि बथौं।।

कैकु दिन त कैकि रात यिख,
कैकि जीत, कैकि मात यिख,
वेकि मर्जि न रिन्गदा मनखि,
खिल्दा फूल, झड़दा पात यिख, 
वेका बि दिन बौड़ला भोल,
तू अफू हि फुन्डया नि चितौ, 
कबि घाम, कबि बथौं।।

कबि हैन्सै, कबि रुवै जख,
क्य तुम बि गयाँ वे गौं ?
'ज़िन्दगी' वेकु नौ।  
कबि घाम, कबि बथौं।।

दिलै सूणा, मनै बोला तुम,
जैथैं चौंदा, वेका ह्वै ल्या तुम,
सुपन्यल्या स्वीणों आज,
वीणा बणै ल्या तुम,
द्वी दिना कि या ज़िन्दगी,
काट- काटी नि बितौ,
कबि घाम, कबि बथौं।।


कबि हैन्सै, कबि रुवै जख,
क्य तुम बि गयाँ वे गौं ?
'ज़िन्दगी' वेकु नौ।  
कबि घाम, कबि बथौं।।


विजय गौड़ 
Copyright@ Vijay Gaur
02/09/2013