Saturday 23 February 2013

हम इथगा मजबूर किलै छाँ!!!


हम इथगा मजबूर किलै छाँ?
पहाड़ी ह्वैकी बि पहाड़ से दूर किलै छाँ??

जख कबि टुट्या खटलोँ का सारा ग्वाया लगैन,
जख कबि माटु अर गारा इना-उना छमडैन,
जख कबि कमेडू - कलमन आखर लिख्येन,
जख कबि बड़ी घाम बाँचि गिनती- पाड़ा सिख्येन,
वीं जलमभूमि से बगणा बदस्तूर किलै छाँ??
हम इथगा मजबूर किलै छाँ??

जख कबि बार-त्योहार रंग-पटखा उड़येन,
जख कबि दगिड्यों दगड़ी खौला-म्येला घुमैन,
जख कबि ब्यों-बरत्यों मा बिस्तर-लखडा सरैन,
जख कबि गोँ बिटी दिदी-भुली सैसुर लख्वैन,
वूँ रीत-रिवाजों थैं बिसरणा हुजूर किलै छाँ??
पहाड़ी ह्वैकी बि पहाड़ से दूर किलै छाँ??

जख कबि अपणी भासा का क ख ग सिख्येन,
जख बाटु हिटदा झणी कथगा पट मिसयेंन,
जख कबि जागर, थड्या, चौफंलों कि भौंण सुणयेंन,
जख कबि ग्वैर बणी पाखों रसिला गीत गुनगुणेंन,
वीं पछ्याण फुंड खैति हूणा मसहूर किलै छाँ??
हम इथगा मजबूर किलै छाँ??

लोग अपणु अस्तित्व सणी झणी क्य-क्य करदन,
भांडु नि रा त औंज्वल्योंन पाणि भरदन,
अपणी बोलि बुल्दरों कि संख्या ब्यखुनि-फजल उन्द जाणी,
अर हम छाँ कि कुच हथ-खुटा हि नि मरदन,
दुन्या दयेखा साब बणनी अर हम मजदूर किलै छाँ??
पहाड़ी ह्वैकी बि पहाड़ से दूर किलै छाँ??

विजय गौड़ 
मि पहाड़ी, पहाड़ म्येरि पछ्याँण
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