Sunday, 25 May 2014

भला दिन औंणा छन!!

भोल म्येरा मुलुक मा एक नै सरकार बण नी च।  जु बि कुच मैनो बिटि भौत सा माध्यमों से सूचना मिलि, वु सब बटोलि एक कविता लिखणा कि कोसिस च, व्यँग थैं व्यँग क तरह से पाठक ल्येला यनि आसा च। कोसिस यनि च कविता मा कैका समर्थन य विरोधकि बास नि औ। 

शीर्षक:  भला दिन औंणा छन!! 

नेता जि बनि-बनि का सुपन्या छन दिखौणा,
देस मा मनख्यों कि मुरदि आस छन जगौणा।
गौं-गल्यों, सैरों मा त कुज्यणि जु बि हूणु होलु,
फेसबुक, ट्विटर, प्रिंट अर टी बी त यनि बखौणा छन,
बल मुलुक मा भला दिन औणा छन।।  

आस यनि कि कलजुग अर त्रेता मा 'कम्पटीसन' च हुयुं,
कि तुमरि 'जी डी पी' से हमरि भलि होलि।
तुमुन रावण मुक्त समाज कु मॉडल दये छयु,
हमुन बि 'हातमुक्त' भारत कनाखुणि क्य-क्य नि बोलि।
जरूर वूंकु राजतिलक मुनि विस्वामित्र जि न कै होलु,
यिख त साक्सात् 'रामदेव' 'सात मुल्कौ' कि पिठै लगौणा छन,
बल मुलुक ………………………………………… 

क्वी बुना छाया कि रामराज न 'आमराज' चयेणु,
अज्क्याल वुंका 'आम' बि कमि छन दिखेणा।
कुच जात-पात कु 'लॉलीपॉप' छा बिचदा,
वुंकु जोगम बि चुसिण्या, चुसेण्या।
परजा आर-पार का 'मूड' मा दिख्येणि,
अब कारा काम निथर,  डुण्डा डौणा छन। 
बल मुलुक ………………………………………… 

बल सब्यों कु दगड़ु होलु अर सब्यों कु विकास,
भुयां कतै नि देखा,  देखा ऐंच-अगास।
मस्जिद, मंदिर ह्वै जालि अर मंदिर-मस्जिद,
हर घर खुसहाल, क्वी मन न उदास।
बक्कि त भोल बगत ई बतालु कि स्वीणा सच होला,
य भैजि छुयों का चखुला उड़ोंणा छन। 
बल मुलुक मा भला दिन औणा छन।।  

@ विजय गौड़ 
२५ मई २०१४ 
नै सरकार गठन कि पूर्व संध्या पर