न त हिंदू-मुसलमान न,
अर न बामण जजमान न,
भयों मुल्कन उब उठण त बस,
भलि शिक्षा अर गैरु ज्ञान न।।
अर न बामण जजमान न,
भयों मुल्कन उब उठण त बस,
भलि शिक्षा अर गैरु ज्ञान न।।
मेलजोलन रैलया त ढयों जन उच्चु दिखेल्या,
अपड़ों कि टॉग खैंच-खैंचि त
खिचड़ि से बकि क्य खैलया।
ननौं कि भुकि पेकि,
अर ठुलौं कु सम्मान न,
भयों मुल्कन उब उठण त बस,
भलि शिक्षा अर गैरू ज्ञान न।
अपड़ों कि टॉग खैंच-खैंचि त
खिचड़ि से बकि क्य खैलया।
ननौं कि भुकि पेकि,
अर ठुलौं कु सम्मान न,
भयों मुल्कन उब उठण त बस,
भलि शिक्षा अर गैरू ज्ञान न।
अगनै बड़ण त बस अपड़ा हथ-खुटा हिलै कि,
न घना घूस देकि,
न मन्ना दारु पिलैकि।
जरसि तेरा कंधा न,
अर थुड़ासि मेरि ज़्याँन न।
भयों मुल्कन उब उठण त बस,
भलि शिक्षा अर गैरू ज्ञान न।।
कॉपी राइट
@ विजय गौड़
बवाणी, नैनीडांड
उत्तराखंड।
मेरु देश अर क्षेतर थैं समर्पित।