Tuesday, 13 November 2012

"बारा सालौ उत्तराखंड"


पैली बि राति छै, अज्युं बि रात हि च,
एक-द्वी सालै ना, या बारा सालों बात च!!

अपणों न बोलि यनु होलु,
बिरणों न बोलि तनु होलु,
नयु राज होलु त झणी कनु-कनु होलु,
छ्वीं त सब्यों न बड़ी-बड़ी करिंन!
विकासे नौ ढाँके तीन पात च,
एक-द्वी सालै ना, या बारा सालों बात च!!

जनता अज्युं बि रेल सुणी जलक्येणी,
रेल त कखी सरक्ये नि च, लोग 'रेल पुरुष' ह्वै ग्येनी,
सड़क त सरकरी कागज़ों मा हि बणदन,
लोग नमान अज्युं बि उकाल-उन्दार हि नपणन,
जुन्यली रातै आस, पर हुयीं औंसी रात च!
एक-द्वी सालै ना, या बारा सालों बात च!!

मिन सुणी, हम गँगा मैति छाँ!
पण पाणि नौ पर बस सूखि गौलि च,
सच्ये! नौनि का मैत्यों पूछ कब छै,
रौली म्येरि पण पाणि गुसैं क्वी हौरि च,
मुलुक मा जख द्येखा, बस डामों कि लंगात च!
एक-द्वी सालै ना, या बारा सालों बात च!! 

जै धरती बिटिन कबि जलधार बगदी छै,
अज्क्याल उख बिटिन, मनखी बगणांन,
जौं थाडों म कबि बचपन अटगदू छौ,
अब सुनक्याल हुयान, अर छिप्वडवा-बिरला रिन्गडान,
प्रवास थमेनौ नौ नि लीणु,यु कनु बकिबात च!
एक-द्वी सालै ना, या बारा सालों बात च!! 

पैली बि राति छै, अज्युं बि रात हि च,
एक-द्वी सालै ना, या बारा सालों बात च!!

विजय गौड़ 
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