Thursday, 9 August 2012

"गीत- गंगा"



मन्न सोचणु, हाथ लिखदा राला म्येरा जब तलक,
गीत,गाणा बणदा राला, सुणेणा राला तब तलक.

सुख मा गीत, दुःख मा गीत, 
बिज्या मा गीत, निंद मा गीत,
औंण का गीत, जौंण का गीत,
गीत संगीतन, कभि भ्वरे नि धीत,
रीत प्रीतै चलणि राली जब तलक,
गीत गंगा बगणी राली, ठगणि राली तब तलक.

लाड का गीत, दुलार का गीत,
माया का गीत, मौल्यार का गीत,
हयुन्द का गीत, बस्ग्याल का गीत,
ब्याली, भोल, अज्क्याल का गीत,
ऋतू वसंत आली-जाली जब तलक,
गीत पुष्पा फुलणि राली,खिलणि राली तब तलक.

संजोग का गीत, वियोग का गीत,
चौमास का गीत, यकुलांस का गीत,
खुद मा गीत और खुद का गीत,
सुध का गीत, बेसुध का गीत,
भै-भैनौ कि खुद लगालि जब तलक,
जिकुड़ी झुरणि, अंगुलि लिखणी राली म्येरी तब तलक.

सोच का गीत, विचार का गीत,
आचार का गीत, प्रचार का गीत,
संदेस का गीत, उपदेस का गीत,
देस का गीत, विदेस का गीत,
नेता मन्ख्यों बखाणु रालू जब तलक,
गाली खाणु, गाणु लिख्वाणु रालू मैमा तब तलक.

मन्न सोचणु, हाथ लिखदा राला म्येरा जब तलक,
गीत,गाणा बणदा राला, सुणेणा राला तब तलक.......

विजय गौड़ 
३० जून २००९
सर्वाधिकार सुरक्षित.

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Dinesh Chandra Nauriyal bahut sunder bhai ji.

Ramakant Dhyani5:06pm Aug 10

Gaur ji bahut badiya hamri subhkamnaya chi yani likhda rayan sadani apni matr bhasha ma...
Narendra Rawat5:56pm Aug 10
bahut khub

Arun Singh Rawat12:47pm Aug 11
Saw ur blog......A nice collection of poems......didn't know we have a poet too in this group....:)...btw got to know ur dad was my dad' s teacher.


Jagpal Rawat12:55pm Aug 11
गौर जी मिन आपकू ब्लॉग पढ़ी. बहुत अच्छु लग. सच मा आप एक गढ़वाली कवी छ. मेरी तरफ बटी आप थै बहुत बहुत शुभकामनाएं अर उम्मीद करुद की भबिश्य म भी आप इनी गढ़वाली भासा क कविता लिखदा रैला.

जगपाल सिंह रावत

Satendra Rawat2:01pm Aug 11
बहुत ही बढ़िया लिख्यों च भै, सची बोलन ता बिज्जू भै मी ता कायल ह्वेग्युं त्यारा यूँ कवितौ कु और त्यारू अपनी भाषा कु प्रति समर्पण कु.
Hari Negi3:14pm Aug 11
gud Vijay well done, keep it up, gud poem.

Vijay Gaur
Aug 11
सभि दिदा-भुलो कु धन्यबाद.आप लोग पढना रैला त जरूर या गीत गंगा बगणी रैली!!! हरी भै, सत्ती भै, जगपाल भै, नरी, उमाकांत,अरुण जी सब्यो कु आभार...

Ganga Maithani10:33am Aug 16
1panth 2 kaj geet our bhasha seekhane ka very2nice song...

Mahabir Rawat2:49pm Aug 22
Gaur ji bahut badhya geet likhya chan aapa la




       

"जनन्युराज"

"जनन्युराज"


आवा ! भै-बन्दों तुमु थैं, तुमरी-म्येरि, हम सब्यों की "चस्गदी" कथा सुणादु.
जरा द्येखा इना-उना, अग्ने-पिछ्नै, 
कखी सुनी त नि छन वू ढडवा बिराली ,
निथर द्वि घड़ी कु सुरुक, अपणा दुलुण ही चलि जांदू .

बालापन मा रेडू बुल्दु छौ, "कैमा ना बुल्याँ भेज्यो सैन्यु कु मरयु छौं".
ज्वान हुयुं ता पता चली कि, नेगी भैजी अपू पर बितीं छौं सुणादु,
अब बिन्ग्णु छौ कि बोर्डर मा चौड़ी छत्ती करदू फौजी दिदा भि,
भौ द्येखी कि सुट पुछडि किलै लुके द्यांदु.

आज जब मी अपना मुलुक मा पुरुष की स्तिथि की समीक्षा करदू ,
त वा मिथें कमोवेश देश की सरकार जन्न ही दिख्यांद,
जख सर्या उज्याड़ ता एक जननी खाणी च,
और भुगत्नौ कु बिचरू सरदार व्है जांद.

या कविता लिख्णु भी छौं, ता भितिर बीटिं कव्लाट च हुनु,
कि कखि यी का प्रकाशन का बाद लुकणु नि पोडलू कूणु,
सुच्नु छौं चट्ट बगल कु शर्मा भै कु नाम लिख देन्दु कवि का नाम मा,
और दिखलू कथगा दिन तक खड़ू राद लोला चढ़चडू घाम मा.

जन्दौ छौं कि मेरा भिंडी भै बंद यी कविता सै बड़ा खुश होणा होला,
और मिथें वीर पुरुष कि संज्ञां देना होला,
पर दगिड्यो! तुमारी यी खुसी खुन झणी क्या भुगतण पोडलू आज,
घौर, दफ्तर, देस-विदेस, जौं ता जौं कख, जख-तख ता हुयू "जनन्युराज".

विजय गौड़ "शर्मा जी का बुल्यानुसार"
सर्वाधिकार सुरक्षित (मी चा सुरक्षित रौं नि रौं)
०९ अगस्त २०१२ 


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1.जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"

जनान्यौं कू राज..
आज तक कैन नि जाणी,
होंदु यनु जनु बगदु पाणी,
माया मोह अर ममता की धनी,
पर जब विकराळ,
जन उत्तरकाशी मा भागीरथी,
कविवर डन्न भी पड़दु,
आपन लिखि,
क्या बोन्न तब?
थोडा घंगतोळ मा छौं,
तुमारी तरौं...... 
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
९.८.२०१२



2. कुलदीप सिंह1:17pm Aug 9

god ji mi chadu ki aap yu kavitaon thai sageet ka dagad piroi ki uttrakhand ki aam janta ka beech ma bhejo ....mi aap se bahut prabhvit chhu kile ki Narendra singh Negi ji ka bad shayad aapka hi kavita padhna ku ar sunana ku man kardu ...


Satendra Rawat12:52pm Aug 9
gajabbbbbbbbbbbb...