Tuesday, 3 September 2013

(अबि बदलाव होला येमा, पुरये नि अभि सबि भावों क साथ)


ए बांद, ये चाँद, 
तू  कनै जाणी छै?
इना -वुना दिखणी, 
बोल कै खुज्याणी छै?

चुप रै, फुंड जा लोला,

अपणा बाटा जाणु मि,
त्वै थैं क्येकि फिकर बोल, 
क्य खुज्याणु मि?

खुट्यों, सि पैजबि 

त्येरि खुट्यों, सि पैजबि,
छमछमै कि बजणि त्येरि 
खुट्यों, सि पैजबि ,
बिरडि कख छै जाणि लोलि,
औ मै जनै ऐ जदि, 
मै जनै ऐ जदि 
लोलि कनै जाणी छै?
इना -वुना दिखणी, बोल कै खुज्याणी छै?

दिलै सीं हैन्सि लोलि 

मै सि नि लुकौ,
मनै स्यूं छुयों आज मैमु दये लगौ,

जावा, भिंडी खिजावा ना,

मै तैं सिन रिझावा ना,
मै जै बाटु लोला हिटदी जाणू छौं,
त्वै नि बतोंण मिन,
मि सौंजडया खुज्याणु छौं,   
सौंजडया खुज्याणु छौं, अपणा बाटा जाणु मि,
त्वै थैं क्येकि फिकर बोल, क्य खुज्याणु मि?

"तीस"

तीस छै ज्वा बालापनै कि,
अब झीस सि बिनान्दि जिकुड़ा मा,
आस छै ज्वा म्येरा मनै कि,
अब फांस सि लगान्दि गौला मा। 

कबि ज्व चल्दि छै दगड़ी अछेलु सि,
आज छैल कैकु किलै ह्वै,
कबि ज्व झुल्दि छै मैमु लगुलि सि,
आज गैल हैंकु किलै व्है ,
चौका हिटदी-रिटदी छै ज्व म्येरा,
सजणी किलै हौरों जिंगला मा,
तीस छै ज्वा……… …
आस छै ज्वा……… …… 

कबि ज्व बगदी छै प्रीतौ गदेरू सि,
आज सुख्युं छ्वया किलै व्है,
कबि ज्वा फ़ुलदि छै मायौ सग्वडि सि,
माया व आज कनि सुख्ये,
बीज छौ जु मिन बुत्युं कबि,
उपजि किलै हौरों पुन्गडा मा .
तीस छै ज्वा……… ……
आस छै ज्वा……… …… 

खिलीं जून छै ज्व पुरन्मासि कि,
आज औन्सि रात सी किलै,
तिसलौं रुझाँदि छै ज्व चौमास सि,
आज रुड्या घाम ह्वै किलै,
सौं खै छै जैन ज्योण-म्वनै कबि,
छोड़ि ग्ये किलै रोंदु यकुला मा,
तीस छै ज्वा……… ……
आस छै ज्वा……… …… 


@copyright विजय गौड़ 
०५.०९.२०१३