Monday, 19 August 2013

मेरो प्यारो उत्तराखण्ड …………………………

मेरो प्यारो उत्तराखण्ड, तू सदनि रैई अखंड,
तू मेरो ज्यु-ज्याँन,
त्वै स्येई म्येरि पछ्याँण, मैमु बस त्येरि रस्याँण, 
त्वी मान - सम्मान। 

मैखुणि क्य छै तु दुन्या थैं, 
आज मिन कनक्वै बतोंण।
नौना-ब्वै कु नातु बुल्दरा, 
आखरों कख बिटि खुज्योंण,
मुखुड़ि म्येरि, त्येरि अन्वार, 
त्वी जिकुड़ि मा, त्वी छै भ्यार,
त्वी धरम, त्वी ध्यान,
मेरो प्यारो उत्तराखण्ड ………………………… 

वुन त त्वे छोड़ि क आज,
दूर भिंडी ऐग्युं मि दूर,
त्येरि सौं त्येरि खुद य कबि,
होंदि नि, द्वी घड़ि बि दूर,
दुफरा, रुमुका, राति-सबेर,
समलुणम कबि व्है नि देर,
भुयाँ रौं चा असमान,
मेरो प्यारो उत्तराखण्ड ………………………… 

खैरि का दिन जब अंदन कबि त,
जागि जन्दन नौना -बाला त्येरा।
चूंदा घौ - दुखदों मौल्याणु,
लग्याँ घौर-बौण वला त्येरा,
ल्वै नि बगि जु हौरि ब्वै,
सुख-संति रखि जत्र्वै,
दैणु ह्वै जै भगवान्,
मेरो प्यारो उत्तराखण्ड ………………………… 

बाटा लगीं त्येरा जुन्यलि रात,
रालि न यनि फेर औंस यिख,
होण वलि च व बि सबेर,
त्येरि बि होलि तड़ी - धौंस यिख,
दीणा छाँ हम त्वै बचन,
राँका उठयाँ छन सबून,
बालु , दानु य़ ज्वान,
मेरो प्यारो उत्तराखण्ड ………………………… 

रचना : विजय गौड़ 
१९. ०८. २०१३ 
कविता संग्रह 'रैबार' से 
Copyright @ Vijay Gaur 19/08/2013