न क्वी दिन-बार, न रंत रैबार,
अर बिन बुलयाँ, म्येरू मैमान ह्वै ग्ये!
मैंगै!!! लोलि तू फेर ऐ ग्ये।
अर बिन बुलयाँ, म्येरू मैमान ह्वै ग्ये!
मैंगै!!! लोलि तू फेर ऐ ग्ये।
कबि आटु, कबि चौंल त कबि तेल मा आणि छै,
हे निर्दयी! तू त अज्क्याल पाणि बि नि छोड़ जाणि छै!
जु पाणि एक बगत छम्वाटोन छौ पियेंदु,
वेका घुग्गा बि तु टैक्स बणी बैठ जाणि छै,
न क्वी सरम-ल्याज, न कैकु लिहाज!
बिरणा मुल्कै नौनी सि ह्वै ग्ये!!
मैंगै!!! लोलि तू फेर ऐ ग्ये।
न घ्यू दूधै छरक,न गोर बखरों का खरक,
सरग त बरखणु बिसिर ग्ये, अब त्येरी हि हुई बरखा-बरख!
सारयों मा नाज अर क्यारों मा साग,
जरा सि ह्वै ग्ये त, वे भग्यानौ भाग!
न क्वी धै! न ढौ-ढसाग,
पहाडयों पर देसी लसाग सि ऐ ग्ये!!
मैंगै!!! लोलि तू फेर ऐ ग्ये।
आखिर क्वी दीन-इमान बि होण चयेणु च,
यनि रक-रक ब्यखुनी-फजेल नि औण चयेणु च,
अफु थैं सिन्नी ब्योलो बामण चितांदी!!
त स्यों नेतों का घौर किलै नि जांदी??
न क्वी कट्वरा, न रसिदै किताब,
जै कै का द्वार भटकै, भितर कुच्ये ग्ये!!
मैंगै!!! लोलि तू फेर ऐ ग्ये।
मैंगै!!! लोलि तू फेर ऐ ग्ये।
विजय गौड़
सर्वाधिकार सुरक्षित
07/11/2012