हैन्सि ल्या,
रव़े-२ कि, बगत नि कटेण हो,
कैका सारा नि रौंण,
नि दिखण कै मुखौंदा,
हथि-खुटी हिलैल्ये लोला,
अर मनखि वी,
सान नि चितौंदा,
कै लचारै, लचारि कू,
मखौल नि उड़ोन्दा,
दये बि दया,
दान दयेकि सोनू नि खवेण हो,
उठि जा,
स्ये-२ कि, उकाल नि लंगयेंण हो।।
औंण-जौणे कि य रीत,
रव़े-२ कि, बगत नि कटेण हो,
उठि जा,
स्ये-२ कि, उकाल नि लंगयेंण हो।।
स्ये-२ कि, उकाल नि लंगयेंण हो।।
कैका सारा नि रौंण,
नि दिखण कै मुखौंदा,
हथि-खुटी हिलैल्ये लोला,
स्यीं, ज्वनि का छौंदा।
सोचि ल्या,
ध्वै-२ कि, आंख्युंन नि खुलेंण हो,
ध्वै-२ कि, आंख्युंन नि खुलेंण हो,
उठि जा,
स्ये-२ कि, उकाल नि लंगयेंण हो।।
स्ये-२ कि, उकाल नि लंगयेंण हो।।
कोसिस कनु रैई,
भाग, अफ़ि धै लगौन्दा,
रोगै दवै खोजा,
जु मरज भगौंण चौंदा
खाँसी ल्या,
सै-२ कि, रोग नि ढकेण हो
सै-२ कि, रोग नि ढकेण हो
हैन्सि ल्या,
रव़े-२ कि, बगत नि कटेण हो।।
रव़े-२ कि, बगत नि कटेण हो।।
मनखि, कर्मों से हि,
छवटु-बडु होंदा, अर मनखि वी,
जो मनख्यों काम औंदा,
पूछि ल्या,
बौगा ह्वै कि, अपड़ू नि बणेण हो,
बौगा ह्वै कि, अपड़ू नि बणेण हो,
हैन्सि ल्या,
रव़े-२ कि, बगत नि कटेण हो।।
अफ़ी अपुकु कमौण म,रव़े-२ कि, बगत नि कटेण हो।।
सान नि चितौंदा,
कै लचारै, लचारि कू,
मखौल नि उड़ोन्दा,
दये बि दया,
दान दयेकि सोनू नि खवेण हो,
उठि जा,
स्ये-२ कि, उकाल नि लंगयेंण हो।।
औंण-जौणे कि य रीत,
दुन्या मा चनि रौंदा,
खालि हाथ ऐ जु यिख,
वुख बि खालि जौंदा,
बींगि ल्या,
गालि दयेकि, नाम नि कमैण हो,
गालि दयेकि, नाम नि कमैण हो,
उठि जा,
स्ये-२ कि, उकाल नि लंगयेंण हो।।
स्ये-२ कि, उकाल नि लंगयेंण हो।।
विजय गौड़
१०/०५/२०१३