दगिड्यो,
अबि एक-द्वी हफ्ता पैलि कुमों मा कै पुरणा गितेर न नई कैसेट निकालि अर नौ धर्युं, "चौकलेट्या होंठ". याँ से पैलि गढ़वलि मा य उमाल कै बेर ऐ ग्ये। फुरकी बाँद, चखना बाँद, माया बाँद, चन्दा बाँद अर झणी क्य-२ हौरि बि. सच्ये हमरा गितेर/लिख्वार खुणि यनु कलम कु अकाल पोड़लु, सोचि नि छौ. यनि सिक्यसौर जै से हमरु स्तर सदनि खड़ोलूँ मा जाणु च, मन दुखि च. एक संदेस लिख्णु छौं, आस करदू कि तौं भग्यानों तलक पौञ्चलु।
लोखु कि प्रतिक्रिया: (फेसबुक मा)
अबि एक-द्वी हफ्ता पैलि कुमों मा कै पुरणा गितेर न नई कैसेट निकालि अर नौ धर्युं, "चौकलेट्या होंठ". याँ से पैलि गढ़वलि मा य उमाल कै बेर ऐ ग्ये। फुरकी बाँद, चखना बाँद, माया बाँद, चन्दा बाँद अर झणी क्य-२ हौरि बि. सच्ये हमरा गितेर/लिख्वार खुणि यनु कलम कु अकाल पोड़लु, सोचि नि छौ. यनि सिक्यसौर जै से हमरु स्तर सदनि खड़ोलूँ मा जाणु च, मन दुखि च. एक संदेस लिख्णु छौं, आस करदू कि तौं भग्यानों तलक पौञ्चलु।
लिखदरों बतावा त क्वी,
"बाँदों" कि य कनि उमाल?
गाणवलों सुणावा त क्वी,
बिरणी सि य कनि अंग्वाल?
लिखदरों बतावा त ………
गाणवलों सुणावा त ………
थड्या, चौंफुलों कि ज्वा औन्दि छै भौंण,
वा बन्सुलि, ढुलकि अब कैन घुरौंण?
तुम त मिस्याँ अफु बिसरौंण म,
तुमरि छ्वीं फेर कैन लगौण?
गाणवलों सुणावा त क्वी,
यु कनु ढब, कनि सज-समाल?
लिखदरों बतावा त ………
"चंदा बांद", "फुरकी बाँद",
"चखना", "चौकलेट्या बाँद"
गढ़-कुमों इकसनि रोग,
"बाँद" हुईं बखरयों सि तान्द,
गाणवलों सुणावा त क्वी,
क्य बकिबात, स्यु कनु बबाल?
लिखदरों बतावा त ………
बौगा ना सिन, छित्ये सिकासौर म,
ठटा नि लग्वांण, अपणु कबि हौर म,
पाड़ी छाँ, पाड़ी बणी हि रावा,
बौंण छाँ रैणा चा रैणा छाँ घौर म,
गाणवलों सुणावा त क्वी,
मेरु छुचों बस यु हि सवाल
लिखदरों बतावा त ………
लिखणे कि य कनि अकाल?
गाणवलों …………
लिखदरों ……….…
रचना: विजय गौड़
१२ अगस्त २०१३
कविता संग्रह "रैबार" से लोखु कि प्रतिक्रिया: (फेसबुक मा)
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