Thursday 29 August 2013

"ज्वनि कि छ्वीं"

ब्यो-पगिनि अर गों-गल्यों मा, 
अगड़ी-पिछड़ी अटगण छोडि दया। 
ब्वल्युं माना, "ब्यो" कि सोचा, 
सिन "बौल्या" बणण तुम छोडि दया। 

मनै क्या च, 
ग्वाया लगाणु रांदु लोलु जखि-कखि,
कबि इनै त कबि उनै कि रान्दि येकि दयखा-दयेखि,
द्वी-दिन कि प्रीतै रीत कि हवा चलणि तेज अब,
यनि हवा मा तुम लोलाओ जरा उड़ण छोडि दया,
ब्वल्युं माना, "ब्यो" कि सोचा,
सिन 'बौल्या' बणण तुम छोडि दया, 

गौं - बरात्युम, 
छजा मा द्येखि, उड़दु मन कख-कख त्येरु,
मि बि आज-यिखी बणि जौं ब्योला, बुल्दु मन जखि-कखि त्येरु,
हौरों क ब्यो मा, सिन्नी ख्याल-ख्यालों मा, 
मन कु डोला डोलुणु अब छोड़ि द्या ,
ब्वल्युं माना, "ब्यो" कि सोचा,
सिन 'बौल्या' बणण तुम छोडि दया,    



कब तलक यन बगणा रैल्या, अफि, अफु थैं ठगणा रैल्या,
ये मन थैं मन्चलु कैरि -कैरि, झूटा सुपन्या पलणा रैल्या,
सुपन्या छोड़िकि, सच मा आवा,
सुद्दि गाणि करणि तुम छोड़ि द्या,
ब्वल्युं माना, "ब्यो" कि सोचा,
सिन 'बौल्या' बणण तुम छोडि दया,    

विजय गौड़ 
Copyright @ विजय गौड़ 28.08.2013 
संसोधन : २३ दिसम्बर २०१३