Thursday 18 April 2013

"यखुलि तु, यकुलू मि"

मि औंदु जरुर, पण औणे हिकमत नि व्है,
त्वै लिजौंदु जरुर, लिजौणे बंदोबस्त नि व्है।।

त्येरा रैबार सबि दिल्ली औंण वलों मा औणा रैनि,
सच छौं बुनु, मिन सुणी बि अणसुण्या कैनि,
लोखु का भांडा मंज्याणु रौं, अपसणी भांडु नि जुड्ये,
मि औंदु जरुर, पण औणे हिकमत नि व्है।।

तू पुंगिड्यों जाणि रै, म्येरा ढाबों मा दिन कट्येनी,
तू राति स्ये नि छै, मिन बि गैणा हि गैणिनी,
दुन्या खलांदु रौं, अपणि पुट्गी नि भुरये,
त्वै लिजौंदु जरुर, लिजौणे बंदोबस्त नि व्है।।

तु मै खुज्याणि रै, मिन बाटा बिरडैनी,
तु ज्वनि बगाणि रै, मै सोच हि पुड्यां रैनि,
त्वै आस बंधान्धु रौं , पण अये कबि नि ग्ये,
मि औंदु जरुर, पण औणे हिकमत नि व्है,

तख तु सारा लग्यीं रै, मिन बि गिर्ज्वडा लगैनि,
दिन रात एक कैदये, पण अमीरया दिन नि ऐनि,
सदान्यु घौर आणु छौं, अब कामै उमर नि रै,
त्वै लिजौंदु जरुर,लिजौणे बंदोबस्त नि व्है।।

विजय गौड़ 
१८/०४/२०१३ 
सर्वाधिकार सुरक्षित ....  

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