Thursday 31 January 2013

मिन उथगा हि त्वै खुदयाँण......

त्येरि मै बिसरणों बातन, बात हि रै जाण,
तू जथगा बिसरण चैली, मिन उथगा हि त्वै खुदयाँण।

क्वी सवाल कारलु कि चुप किलै छै,
तिन चुप हि राण,
शब्द खुज्यांदी रैलि,
पर गिचा बीटिंन क्वी जवाब नि आण,
तू जथगा बिसरण चैली, मिन उथगा हि त्वै खुदयाँण......

क्वी त्वै उक्सालु कि म्येरा बारा बता,
तिन टुल-टुल रव़े जाण,
यनि स्वाणी माया अपणी, 
आखिर जै कै मा कनक्वै बर्ताण,
तू जथगा बिसरण चैली, मिन उथगा हि त्वै खुदयाँण......

मिन सुणि जोडि त वु विधाता बणांद,
त मनखिन क्य कैर पाण,
तु जैखुणि बणे वेन, वुख चलि जैली,
म्येरि आश न मैम हि रै जाण,
तू जथगा बिसरण चैली, मिन उथगा हि त्वै खुदयाँण......
त्येरि मै बिसरणों बातन, बात हि रै जाण....

विजय गौड़ 
सर्वाधिकार सुरक्षित 
पूर्व प्रकाशित 
    


     

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