Thursday, 31 January 2013

सैंदाण

कै बिरणे सैंदाण मिन समालि धरीं च,
मिन कै नि दिखाण, कि मिन क्य पालि धरीं च।


माया ज़िन्दगी मा पंछी बणि आंदी,
त्वै मायादार कैकि, कखि हौर उड़ी जांदी,
मैमा एक तोला नि, वून नालि धरीं च,
कै बिरणे सैंदाण मिन समालि धरीं च....

म्येरु बाटू हिटणो, वा झणी कख्वै ए जांदी,
काण्डों वला बाटों बि सजीला फूल खिलै जांदी,
कबि ज्वा रै छै खुचिला, वा अब तिरालि धरीं च,
कै बिरणे सैंदाण मिन समालि धरीं च......


होन्दि म्येरि अपणी त मैमा हि त रांदी,
म्येरू बणयु घोल, सिन त नि रितांदी,
मिन अपणी नवलि, कै हैंको खालि करीं च,
कै बिरणे सैंदाण मिन समालि धरीं च....

विजय गौड़
सर्वाधिकार सुरक्षित
पूर्व प्रकाशित




No comments:

Post a Comment