अचणचक श्यू काखड़ो मुंड मलसण बसि ग्ये,
खच्चर घासै खुणि ' भुलू ' बुलँण बसि ग्ये,
ग्वैरि बगतन गोर म्येलंण बसि ग्ये,
बैलि गौड़ि बि अचणचक पगरण बसि ग्ये,
जणि कलजुग, सतजुग मा जौंण वलु च,
जणि कलजुग, सतजुग मा जौंण वलु च,
तालि बजौ, "चुनौ औंण वलु चा"।
द्वी चार दिन बिटी प्रधान रामा रूमि करण लगि ग्ये,
अर बाटु कु गारू-माटु इना-उना ढुलौंण लगि ग्ये,
पाँच साल त लोलोंन नौ बि नि पूछि,
आज ढाँकि दे-देकि बुलौण लगि ग्ये,
साल सालों कु हमरु इ तेल,
भैजि हमरा इ चुफ्फों लगाणु वलु च
आज ढाँकि दे-देकि बुलौण लगि ग्ये,
साल सालों कु हमरु इ तेल,
भैजि हमरा इ चुफ्फों लगाणु वलु च
तालि बजौ, "चुनौ औंण वलु चा"।
मुझ्यां चुलों आग जगण बसि ग्ये,
चिलम सजला फिर सजण बसि ग्ये,
जु भड्डु मास उज्ये-उज्ये कि लबस्ये ग्ये छौ,
चिलम सजला फिर सजण बसि ग्ये,
जु भड्डु मास उज्ये-उज्ये कि लबस्ये ग्ये छौ,
वेवुन्द अज्क्याल मुर्गा बँसण बसि गए
क्वी थैलि, क्वी पवा अर क्वी साबुत बोतल,
बिन ब्वल्यां कीसों कुच्योंण वलु च,
तालि बजौ, "चुनौ औंण वलु चा".
क्वी थैलि, क्वी पवा अर क्वी साबुत बोतल,
बिन ब्वल्यां कीसों कुच्योंण वलु च,
तालि बजौ, "चुनौ औंण वलु चा".
Copy Right @ विजय गौड़
13.09.2013
No comments:
Post a Comment