Friday 29 March 2013

"चार लैन"

1. "कज्याण" 

त्येरि हो म्येरि, कज्येडीन कज्याण हि राण। 
तिथैं हो या मिथें, वीन कच्याँण हि राण।
भैर छै तु रपरुप्पु, पर भितिर जुप्पजुपु ह्वै जाण।
सर्या दुन्या मा कज्यों कि एकि दवै, कज्याण, कज्याण अर बस कज्याण।

2. "डल्ख्या झब्बु अर गोर"


झब्बु दा पौन्च्युं डाला टुक, अर सटम भौंटि टुटी ग्या,
अब खा रे डल्ख्या भिन्डी तू, जब सर्या चौन्ठी फुटी ग्या!! 
सर्या चौन्ठी फुटी ग्या, अर हड्गी-पसली हिली ग्या,
गोर नमान खुज्यान्द 
हि रैडल्ख्या झब्बु ख ग्या!! ग्यें कि ग्वैरि झब्बु कख ग्या!!

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