Friday, 1 March 2013

आज फिर कुच लिखणु बैठ्युं छौं!!!


आज फिर कुच लिखणु बैठ्युं छौं,
अपणा भितरो इंसान दिखणु बैठ्युं छौं।

सुच्णु छौं कि क्वि भलु सि गीत लिखुँ,
पर लिखुँ त क्याँ पर गीत लिखुँ,
बाबा कि ब्यटुली सणी लाड़ पर लिखुँ,
कि ब्वै का नौना सणी प्रीत पर लिखुँ,
मन्न मा ये घंगतोल लेकि सुच्णु बैठ्युं छौं ,
आज फिर कुच लिखणु बैठ्युं छौं......

भ्रष्टाचार क भोग पर लिखुँ,
कि बेरोजगारी कु रोग पर लिखुँ ,
गरीब क जोग पर लिखुँ,
कि अमीरों क संजोग पर लिखुँ,
समाज कि आज कि स्तिथि से कुच सिख्णु बैठ्युं छौं,
आज फिर कुच लिखणु बैठ्युं छौं........

मनखि कि मोह माया पर लिखुँ,
कि कालि-गोरि काया पर लिखुँ,
बालों क ग्वाया पर लिखुँ 
कि बस्ग्यलि छवाया पर लिखुँ,
लिख्वार मन कख-कख गिर्ज्वडा लगान्द, दिख्णु बैठ्युं छौं 
आज फिर कुच लिखणु बैठ्युं छौं........

श्रीमान जी कु ऑफिस टैम पर लिखुँ,
कि श्रीमति जी क बैम पर लिखुँ,
नेता जी कु कुर्सि प्रेम पर लिखुँ,
या अपणा देस मा हूणा स्कैम पर लिखुँ,
विषय इथगा मिलणांन कि अन्गुल्यों मा गिंणणु  बैठ्युं छौं,
आज फिर कुच लिखणु बैठ्युं छौं........

विजय गौड़ 
हनोई, विएतनाम बीटिंन
सर्वाधिकार सुरक्षित  
   

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