Thursday, 5 September 2013

"प्रीतौ रैबार"

मै तैं नि कुच पता,
मैमु नि सार- खबर,
तन-मन मा कुत्ग्यलि सि,
बोला क्यांकू यु असर। 

पैलि जु कबि नि व्है,
कुच यन्न मै होणु आज,
कबि गौला मा बडुली,
त कबि खुट्यों पराज,
मै तैं कुच हुयूँ त छै च,
पण मै इ नि आणों नजर,
बोला क्यांकू यु असर.…………………

बेर-बेर यनु लग्णु किलै,
कखि बिटी क्वी दिखणु आज,
भलु झणि किलै लग्णु मै थैं,
सजणों - सरमाणों रिवाज,
सरैल - मन मै से लूछि लिजाणी,
य कनि अयीं उमर,
बोला क्यांकू यु असर.…………………

दुन्या ज्वा ब्यालि बिरणी छै,
अपड़ी सि लगणि आज,
धरति फूलों न फुलीं -फुलीं,
अगास म रंगो कु राज,
खुचणी नि य गेड़ मन की,
टुट्णु अब सबर,
बोला क्यांकू यु असर.…………………

@विजय गौड़ 
रचना:रैबार से ………………… 

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