Monday, 12 August 2013

"भेड़चाल"

दगिड्यो,
अबि एक-द्वी हफ्ता पैलि कुमों मा कै पुरणा गितेर न नई कैसेट निकालि अर नौ धर्युं, "चौकलेट्या होंठ". याँ से पैलि गढ़वलि मा य उमाल कै बेर ऐ ग्ये। फुरकी बाँद, चखना बाँद, माया बाँद, चन्दा बाँद अर झणी क्य-२ हौरि बि. सच्ये हमरा गितेर/लिख्वार खुणि यनु कलम कु अकाल पोड़लु, सोचि नि छौ. यनि सिक्यसौर जै से हमरु स्तर सदनि खड़ोलूँ मा जाणु च, मन दुखि च. एक संदेस लिख्णु छौं, आस करदू कि तौं भग्यानों तलक पौञ्चलु। 

लिखदरों बतावा त क्वी,
"बाँदों" कि य कनि उमाल?
गाणवलों सुणावा त क्वी,   
बिरणी सि य कनि अंग्वाल? 
लिखदरों बतावा त  ……… 
गाणवलों सुणावा त ……… 

थड्या, चौंफुलों कि ज्वा औन्दि छै भौंण,
वा बन्सुलि, ढुलकि अब कैन घुरौंण?
तुम त मिस्याँ अफु बिसरौंण म,
तुमरि छ्वीं फेर कैन लगौण?
गाणवलों सुणावा त क्वी,
यु कनु ढब, कनि सज-समाल?
लिखदरों बतावा त  ……… 

"चंदा बांद", "फुरकी बाँद", 
"चखना", "चौकलेट्या बाँद"   
गढ़-कुमों इकसनि रोग,
"बाँद" हुईं बखरयों सि तान्द,
गाणवलों सुणावा त क्वी,
क्य बकिबात, स्यु कनु बबाल?
लिखदरों बतावा त  ……… 
      
बौगा ना सिन, छित्ये सिकासौर म,
ठटा नि लग्वांण, अपणु कबि हौर म,
पाड़ी छाँ, पाड़ी बणी हि रावा,
बौंण छाँ रैणा चा रैणा छाँ घौर म,
गाणवलों सुणावा त क्वी,  
मेरु छुचों बस यु हि सवाल 
लिखदरों बतावा त  ……… 
लिखणे कि य कनि अकाल? 
गाणवलों …………
लिखदरों ……….… 

रचना: विजय गौड़ 
१२ अगस्त २०१३ 
कविता संग्रह "रैबार" से   

लोखु कि प्रतिक्रिया: (फेसबुक मा)


भगवान सिंह जयाड़ा commented on your photo.
भगवान wrote: "बहुत सुन्दर चिंतन की बात छ गौड़ जी ,,,सच मा कभी कभी यना नॉऊ की कैसिट देखिक ,बडु अजीब सी लगदु ,सस्ती लोकप्रियता हासिल करण का वास्ता कुछ गायक और रचनाकार भाई अपरी गढ़वाली संस्क्रती कु अपमान छन करण्या ,जू बहुत दुःख की बात छ ,,,"

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल commented on your photo.
प्रतिबिम्ब wrote: "अकाल ब्वालो भेड़चल ब्वालो .... सच मा गितेर लोग अपर खुद ही मजाक उड़ाना छन ..... पर लोग भी किले यों ते बढ़ावा दीना छन ..... भौत भल लेखी आपण विजय जी ... सब्यू ते सुचण प्वाडल ..."

Rawat Hindustani commented on your photo.
Rawat wrote: "आदर्श मार्गदर्शक"
Ashish Kuliyal commented on your photo.
Ashish wrote: "waaah supercb"
Surendra Semwal commented on your photo.
Surendra wrote: "Praud of uttrakhand....."

Narendra Gauniyal commented on your photo.
Narendra wrote: "gaud ji mushkil y chha ki harek mankhi ko apno star,apni soch,apni kshmta hoond.sikaseri ka karan kuchh log takna takan kardin.jab soch hi oonchi ni ho t ooncha star ka geet,sahity,lekhan,manchan kakh biti holu.samajh hamara samaaj ki theek ho t ina kauthger gitaron tai kwee tavajjo ni diye jali...fir ye tarah ka gitaar afu hi harchi jala...pan samaaj ma bi t kuchh oonka dagdya chhan..."
Anil Rawat3:09pm Aug 12
dada ye pailee bhi bhi sanka band, chandra chori, roopa..... kathgaiee chali gyee.

Mukesh Singh Rawat3:13pm Aug 12
waw waw bheji kya khub h pad kar bahut sundar laga ......

Manish Mehta3:21pm Aug 12
बिलकुल सही बात को भेजी

Raj Rawat3:36pm Aug 12
bahut sundar rachna bheji

Mukesh Singh Rawat3:13pm Aug 12
waw waw bheji kya khub h pad kar bahut sundar laga ......

सतेन्द्र रावत3:40pm Aug 12
सुन्दर सन्देश गाण वालू खिणी और सुणन वालू खिणी भी............


Manoj Rawat3:42pm Aug 12
yeh sab bakwas gana likhi ki in logo ne apne gadhwal ke naam ko bhi duboya hai ish industries aise gano per rok lagna chahiye

सतेन्द्र रावत3:58pm Aug 12
इना गाणु से हमर संस्कृति कु पता लगद, गान वालू थै अपनी संस्कृति कु ध्यान जरूर रखन पोडालु।


Devaki Nandan Kandpal8:20pm Aug 12
bhula hum eak cha ki kumu ki gadao...hum uttarakhandi cha....

Prem Singh Kunwar9:25pm Aug 12
wa vijay shab ek dam sahi boli aapan


Dinesh Chauhan10:57pm Aug 12
bhaji ap jani soch ta sabhu ki ni hondi
Pankaj Rawat12:40am Aug 13
Yu baando ki maya khoob lage yali
Kyu khatti kwee mithhi kwee muyali
Utpataang no dhairik yonl
Gadwaal ka noni badnaam kairi yali


Anil Rawat3:09pm Aug 12
dada ye pailee bhi sanka band, chandra chori, roopa..... kathgaiee chali gyee.

Rahul Rawat9:49am Aug 13
ये पब्लिक डिमांड है जिनकी संख्या २% भी नहीं है और ये गायक जिनकी यही मानसकिता है इन २% लोगों के साथ दो कौड़ी की इमेज बना रखी है। ये २% लोग खुद डिमांड नहीं करते बल्कि ये उनको परोसते हैं। दो कौड़ी का टाइटल और दो कौड़ी के बोलों से ये उपर नहीं उठ सकते।

मुझे इन गायकों से परेशानी नहीं है ये जो मर्ज़ी गायें बजाएं बस इनकी उस मानसकिता से है जो ये कहते है की ये पब्लिक डिमांड है। ये नहीं कहते की हमारे बस का यही है

Prem Singh Kunwar10:05am Aug 13
thik beji aap ekdam manpasand ki baat likhdan bhut badiya

Rahul Rawat10:18am Aug 13
मैं पूरी गारंटी देता हूँ की अभी काफी समय तक वो दौर नहीं आने वाला क्योंकि आप जैंसे अच्छी सोच वाले कलाकार उभर कर आ रहे हैं। किशन महिपाल, बिरेन्द्र राजपूत, विनोद सिरोला ने अभी पहाड़ की परंपरा की लाज रखी है तो साथ में अनुभवी नरेन्द्र सिंह नेगी नेगी, प्रीतम भारतवाण जिनसे लोक गायक इस समाज में है।

हाँ अगर ये लोग नहीं होते तो ये दो कौड़ी के टाइटल और दो कौड़ी के बोलों से उत्तराखंड भी प्रदूषित हो जाता।

Rawat Hindustani10:12am Aug 13
"अप्प दीपो भवः "
जहां रहेगा वही रौशनी लुटायेगा !
चराग का अपना कोई मकां नहीं होता !


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