ओलंपिक मेडल: "छै"
एक अरब से भिंडी मनखी और मेडल बस "छै"क्वी भग्यान बतालू मीथैं, क्या यी च म्येरा देस कि सचै?
एक अरब से भिंडी मनखी और मेडल बस "छै"क्वी भग्यान बतालू मीथैं, क्या यी च म्येरा देस कि सचै?
गों-गल्यो, जख-तख ढोल-दमो बज्नाण,
दाना-सयाणा रंगमत हुयान अर छ्वटा-बड़ा यिख-उख नच्नाण,
देस "तीन" मेडल से "छै" पर पौंची ग्ये,
देस मा खेलो कु विकास चार साल मा सौ प्रतिशत ह्वै ग्ये,
द्वी चार दिन कु कौथिग और फिर टुप स्ये जान भै,
खबरदार! क्वी उठैयाँ ना हमुथैं, जब तक हैंकु ओलंपिक नि ऐ.
क्या म्येरू देस कु यु सौभाग्य च कि हम ५५ वां स्थान पर ऐ ग्याँ?
या दुर्भाग्य च कि छैंदा प्रतिभा का एक सोनू कु बाटू हेरणा रैग्याँ?
धन-धन छन यी द्वी-चार भारत मा का सपूत जू कम से कम "द्वी चांद्या" और "चार कांस्या" तमगा त ली ऍन,
निथर देस कि व्यवस्था कु हिसाब से हर खिलाड़ी थैं, बस ओलम्पिकै खिचड़ी खैकी औंण चएंण.
प्रसाशन का कंदुड मा आज तक जूं नि रीन्गु जू आज रीन्गलु भै,
तभी त देस कि जनसँख्या एक अरब और मेडल मिल्या बस.."छै"
अब दिखदा "लन्दन" से "रिओ" पौचदा-पौचदा हमारू कथगा विकास होंद?
क्या खैन्चदा-खैन्चदा जणेक सोनू तमगा भि ऐ जालू या सोनू सिर्फ मन्त्र्यो का घौर हि रौंद?
सच भि च कि भारत जनु सदान्यूक विकासशील देस मा सोनू त "राजा" का वास्ता हि बन्यु च'
आम खिल्वाड़ी त अपणी खून पाणि कि मेहनत का बाद भि सोनू छू भि सकनौ च,
ये महान देस मा मेहनत कन्न वलों थैं छन्च्या भि नसीब नि,
और फेडरेसन छन उड़ाणी घ्यू, दूध और दै,
क्या कन्न, क्या ब्वन्न...
यु हि च म्येरू भारतवर्ष, अर म्येरा महान देस कि सचै....
विजय गौड़
१३.०८.२०१२
"सर्वाधिकार सुरक्षित" (चा मी सुरक्षित रौं नि रौं)
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sachhi bat ch 121 crore ki abadi ma kul 6 hi medal....
सही बोली गौर भै, आपल की इतना बड़ी जनसंख मा बस ६ ही मेडल. अगर पुर देश मा खेल प्रतिभा थ खोजी जली त किले न मिलला खिलाडी पर यख त सभि भै भातिजाबाद च.
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