"नारैन"
क्या कन्न कलयुग मा यन्नी ता होंद,
इतिहास मा जन कल्याण का वास्ता नारैन कू अवतार हवे छौ,
आज नारैन कू खून कैकी अस्मिता का वास्ता गढ़ेनु च ,
आखिर कब तक छुपैलू अपना स्यों कुकर्मों की कुंडली,
अब जन मानस अपना अधिकारों थैं समझनो च,
नौनु बुन्नु तू मेरु बुब्बा छै,
और बुब्बा बौग सरनो च,
आखिर कै कै थैं जी जवाब दयोलू नारैन,
झनि कितना लम्बी लैन लगायी च,
बेशर्मी की भी एक हद होंद यनु सुणी छौ,
आज बेशरम ही नारैन बन्युं च..
आखिर कब तक शर्म शार कन्न तिन यु उत्तराखंड,
जैका भोरा तिन स्यु आलिशान जीवन बितयु च..
अगर सचु होलू भगवान् ता त्वैथैन असगार लगन ये उत्तराखंड और सभी उत्तराखंध्यु कू..
जौंकी भोली पछ्याण पर तिन प्रश्नचिन्ह लगायु च...
विजय गौड़
२९.०५.२०१२.
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हा हा उम्दा लिखा है आप ने विजय जी
क्या करें जब नारैण ही खुद येंस्सा हो ........................कोर्ट ने तो सिर्फ और सिर्फ खून माँगा है, जनता तो उसकी हड्डी चूसने के लिए तैयार है
क्या बोन्न तब...जब तक बात ढकीं..भलि...भेद खुललु त क्या होलु...सोचा
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