"उत्तराखंड"
सी दिन पैली भी गरीबी मा ही कटेनी,
और आज भी कुछ नि बद्ल्ये I
घुंडा पैली भी चिर्याँ ही रैंदा छाँ,
आज भी थ्यगली थैं लारू नि ऐ I
पैली बिराणों का बीच अपुथैं खुज्यांदु छौ,
आज अपणो मा भी पछ्याण नि रै I
कभी क्वी इना फर्काणु कभी क्वी उना,
फ़र्क्ये की भी कुछ हथ नि ऐ I
कबी यू पी मा छऊ, फिर उत्तराँचल व्है ग्यों,
अब उत्तराखंड व्है की बी क्या व्है I
मी ता तब भी तिरस्कृत ही छौ,
अलग हवे की बी कुछ बक्की नि व्है I
फरक इथगा ऐ ग्ये की पैली बिराना लुटना छयाँ,
अब अपनों मा होड़ मची ग्ये I
मेरी आज बी वी टक्क लगई चा ,
क्या कभी म्यरा भी दिन आला..???
विजय गौड़
२२.०५.२०१२
No comments:
Post a Comment