Friday, 24 May 2013

'मेरु जोग'

स्वीणों मा दयेखी छै ज्वा ब्यालि,
माया जैन्कू तैं समालि,
आज वा, बांद म्येरि ह्वै ग्येई।
म्येरा स्वीणों थैं वा वीणा कै ग्येई।।

ब्यालि तक छै ज्वा अजाण,
छ्वीं-बथ ना बुन्न-बच्याण,
होंदु छौ कुज्याँण-कुज्याँण,
बल, वींकि टिपड़ी मिस्ये ग्येई,
म्येरा स्वीणों थैं ........... 

जोग न कनि जगै य आस
होणु नी चा मै विस्वास,
रौंदु छौ जु कबि उदास,
वेकु कनु चौमास ऐ ग्येई।
म्येरा स्वीणों थैं ...........

बथौं रैबार लाणु आज,
कबि बडुलि त कबि पराज,
कंदुड्यों मा बस ई अवाज,
त्वेकू सजिलो साज ऐ ग्येई।
म्येरा स्वीणों थैं ...........

विजय गौड़ 
२४।०५।२०१३   
  

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