Friday, 31 May 2013

जरा आखरों रैबार बि बिंगणा रयाँ !!!

मि लिखणु रौंदु, तुम पढ़णा रयाँ,
जरा आखरों रैबार बि बिंगणा रयाँ।

गीत छौं मिसांदु मी,
तुमरी हि छवीं लगांदु मी।
भलु-बुरु तुम छाँ जु कना,
वी त रौंदु, गान्दु मी। 
म्येरा मनै उमाल मा,
तुम बि उम्लेणा रयाँ,
जरा आखरों रैबार .......................

रसीला फूल छौं खुज्यांदु मी,
मुल्कै म्वारि सि रूणान्दु मी।
स्ये मनै जल्वठी खोला त जरा,
हर्च्युं सैद छौं खुज्यांदु मी।
मी लग्युं तुम्थैं फैलांण मा,
तुम बि फैलेणा रयाँ,
जरा आखरों रैबार .......................

तुम से आज कुच छौं चांदु मी,
पहाडै 'धै' छौं सुणान्दु मी,
कंदुड्यों नि बूजा, बौग नि सारा,
प़ाड्यों, 'पाड़ी' छौं बणान्दु मी।
मी मिस्युं तुमथैं भटयांण मा,
तुम बि बौडेणा रयाँ।
जरा आखरों रैबार .......................   

विजय गौड़ 
३१।०५।२०१३        

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