Tuesday, 30 April 2013

मौल्यार!!!!


मन मा तिन ऐकि,
यन झणी क्य बतैई,
बिरणी स्य दुन्या,
अपणि सी व्है ग्येई।।

तू बुन्नि रै,
मि त्येरा बुल्याँ तैं 
लिखणु लग्युं रौन्लू,
गीत त्येरि छुयों पर,
मिसाणु लग्युं रौन्लू,
म्यरु लिख्याँ, म्यरा गाणों मा,
त्वी हि त्वी त छैई,
मन मा तिन ऐकि .......

तू हैंसणि रै,
मि त्येरि हैंसी तैं 
सौन्ग्याणु लग्युं रौंलू,
रुन्दरों तक त्येरि हैसि 
पौंचाण लग्युं रौंलू,
तू ऐ त युं आंख्यों मा,
फेर अन्सधरि नि ऐई,
बिरणी स्य दुन्या ......

त्वी बथै दये,
क्या च मैमा,
जु, त्वे दये दयोंलु,
अनमोल त्येरि माया,
कनक्वे मि मुल्योंलू?
त्येरा औणन जिंदगी मा 
"मौल्यार" ऐ ग्येई,
मन मा तिन ऐकि .......

विजय गौड़ 
३०/०४/२०१३  
   

 
 

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