जै खुज्याणो बाटों का गारा कुर्च्येनी,
वा सदानि बाटु बिरड़ान्दी रैई!
मी भितिर हि भितिर फुकेणु रौंऊ,
वा खित हैंसी, हौर सुल्गांदी रैई!
मिन मनै गेढ़ वीमा खोलिनि,
वा गारा सि छमड़ान्दि रै,
वा गारा सि छमड़ान्दि रै,
मिन दिलै बथ वीमा बोलिनी,
वा ज़मना थैं बथान्दी रै!
वींका बाना अपणा, बिरणा ह्वै ग्येनी,
वा बिरणों थैं अपणान्दी रै!
मी वीं जनै हिटदु रौं,
वा फुन्डों-फुन्डों जांदी रै!
आज स्यु हुयू क्वीलु सि कालु,
वा ग्वारों खुज्यांदी रै!
मी भि बालपन मा गोरु हि छौ ,
या ज्वनी कालु बणान्दी ग्ये!!
या ज्वनी कालु बणान्दी ग्ये!!
विजय गौड़
सर्वाधिकार सुरक्षित....
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