हिटणा कु दियीं खुट्टी,
रै मनखी हिटणु रै!!!
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट,
तू बुटणू रै!!!
कबि उकाल - कबि उंदार सि बाटू ज़िन्दगी कु,
ये थैं तिर्छोड़ी कनै कि हिकमत करणु रै!!!
हिटणा कु दियीं खुट्टी.........
उन्द अटगणे कि लगिं होड़ ये मुलुक अब,
यिक्खि रैकि जरा पाड़-पाड़ी तू बंचणु रै!! बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट........
सच थैं अब जरा भिंडि दबाणु स्यु झूठ यिख,
द्वी घड़ीम पलट्येलु यु ढुंगु, बाटु हेरुणु रै!!!
हिटणा कु दियीं खुट्टी.........
क्वी धक्यालू अग्नै त क्वी पिछ्नै त्वैई,
अपणा- परया पछ्याणि स्ये मन मा लिखणु रै!!!
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट........
छंट्येलु अँधेरु, होलु उज्यालु सिंनक्वली,
ढान्डू-कांडों मा तब तलक तू सकणु रै!!!
हिटणा कु दियीं खुट्टी.........
ज्योंन मनखि कि वेन दियीं त्वै कना कु कुच,
वेकु बुल्युं कैयालि? अफु स्ये पुछणु रै!!!
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट........
खैरि-विपदों कि लम्बि लंगात जब दयेखा तब, लगै कि अड्ड दूर धार पोर स्यों ठेलुणु रै!!! हिटणा कु दियीं खुट्टी......... ब्वै-बाब रैनि कैका सदानि दगडि यिख, मि बि छ्वरयों, भोल तु बि छ्वरयेलि, बिन्ग्णु रै!!! बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट........ कबि त मुंड मलसणों आला पित्र त्येरा ड्यार बी, मोल-माटन लीपि खान्दम वुन्कू बाँठु बि धरणु रै!!! हिटणा कु दियीं खुट्टी.........
विजय गौड़
22.08.2012 (11.50 PM)
(संसोधन दिनांक ०७/०८/२०१३, पूज्य पिताजी को मरणोंपरांत समर्पित)
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Wednesday, 29 August 2012
हिटणु रै!!!
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