Tuesday, 3 July 2012

" पहाडै कोलंबस"

 दगिडयो,



तौं घस्यार्युं देखि मिथें यना ख्याल आना छन, आशा च बक्की भी मी सें सहमत होला!!!



पहाडै कोलंबस" 

हे मेरा उत्तराखंड की नारी!
माँ-भैणी , बेटी-ब्वारी,
मी तुमु थैं कोलम्बस की संज्ञा देणु चांदू,
यु तेरु ही प्रताप च कि,
ये निरंतर सुखदा पहाड़ मा भी,
झणी कें "नयी दुन्या" से हैरू घास ऐ जांदू.

जख नौजवान और दानु दारु मा  डुब्युं रांदु,
वुख तेरु संघर्ष मा कुछ भी फरक नि आन्दु,
नाम कु ता तेरी खुट्यो कुंगली बुल्दन,
पर विधाता भी स्यों थैं हिले नि पांदू.

क्वी डाली यनि नि च ज्वा त्वे नि पछ्यंदी, 
और क्वी जंगल यनु नि जू त्वे नि बुलांदु,
मी थैं ता यनु लगदु कि तेरी पिडा देखि,
सुखीं डाली और जल्युं जंगल भी हैरू हवे जांदू.

हे मेरा पहाड़ कि दीदी भुलि, बेटी ब्वारी,
मी त्वैथैं शत शत नमन कन चांदू.
एक त्वी ता छै ज़ें देखि,
मी पहाड़ी होण मा शान चितान्दू!!!!
पहाड़ी होण मा शान चितांदु!!!!


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